15. Juli 2009 von Vyasa 14. Kapitel 14-16 Devanagari Bhagavad Gita 14. Kapitel 16. Vers कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम् | रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम् || १४ १६ ||