30. Oktober 2009 von Vyasa 12. Kapitel 12-01 Devanagari Bhagavad Gita 12. Kapitel 1. Vers अर्जुन उवाच | एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते | ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः || १२ १ ||