24. Januar 2011 von Vyasa 04. Kapitel 04-35 Devanagari Bhagavad Gita 4. Kapitel 35. Vers यज्ज्ञात्वा न पुनर्मोहमेवं यास्यसि पाण्डव | येन भूतान्यशेषाणि द्रक्ष्यस्यात्मन्यथो मयि || ४ ३५ ||