2. Januar 2009 von Vyasa 18. Kapitel 18-57 Devanagari Bhagavad Gita 18. Kapitel 57. Vers चेतसा सर्वकर्माणि मयि संन्यस्य मत्परः | बुद्धियोगमुपाश्रित्य मच्चित्तः सततं भव || १८ ५७ ||