6. Januar 2009 von Vyasa 18. Kapitel 18-53 Devanagari Bhagavad Gita 18. Kapitel 53. Vers अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम् | विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते || १८ ५३ ||