11. Januar 2009 von Vyasa 18. Kapitel 18-48 Devanagari Bhagavad Gita 18. Kapitel 48. Vers सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत् | सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः || १८ ४८ ||