22. Juli 2009 von Vyasa 14. Kapitel 14-09 Devanagari Bhagavad Gita 14. Kapitel 9. Vers सत्त्वं सुखे संजयति रजः कर्मणि भारत | ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे संजयत्युत || १४ ९ ||