29. Juli 2009 von Vyasa 14. Kapitel 14-02 Devanagari Bhagavad Gita 14. Kapitel 2. Vers इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः | सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च || १४ २ ||