6. November 2009 von Vyasa 11. Kapitel 11-55 Devanagari Bhagavad Gita 11. Kapitel 55. Vers मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः | निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव || ११ ५५ ||