16. November 2009 von Vyasa 11. Kapitel 11-45 Devanagari Bhagavad Gita 11. Kapitel 45. Vers अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि दृष्ट्वा भयेन च प्रव्यथितं मनो मे | तदेव मे दर्शय देव रूपं प्रसीद देवेश जगन्निवास || ११ ४५ ||