6. Dezember 2009 von Vyasa 11. Kapitel 11-25 Devanagari Bhagavad Gita 11. Kapitel 25. Vers दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानि दृष्ट्वैव कालानलसन्निभानि | दिशो न जाने न लभे च शर्म प्रसीद देवेश जगन्निवास || ११ २५ ||