14. Dezember 2008 von Vyasa 18. Kapitel 18-76 Devanagari Bhagavad Gita 18. Kapitel 76. Vers राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम् | केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः || १८ ७६ ||