25. Juni 2010 von Vyasa 08. Kapitel 08-05 Devanagari Bhagavad Gita 8. Kapitel 5. Vers अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् | यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः || ८ ५ ||