14. Oktober 2010 von Vyasa 06. Kapitel 06-17 Devanagari Bhagavad Gita 6. Kapitel 17. Vers युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु | युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा || ६ १७ ||