9. Juli 2011 von Vyasa 02. Kapitel 02-22 Devanagari Bhagavad Gita 2. Kapitel 22. Vers वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि | तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही || २ २२ ||