29. April 2009 von Vyasa 17. Kapitel 17-01 Devanagari Bhagavad Gita 17. Kapitel 1. Vers अर्जुन उवाच | ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः | तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः || १७ १ ||