5. Oktober 2010 von Vyasa 06. Kapitel 06-26 Devanagari Bhagavad Gita 6. Kapitel 26. Vers यतो यतो निश्चरति मनश्चंचलमस्थिरम् | ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत् || ६ २६ ||