30. Dezember 2010 von Vyasa 05. Kapitel 05-01 Devanagari Bhagavad Gita 5. Kapitel 1. Vers अर्जुन उवाच | संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि | यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम् || ५ १ ||